Article 0
अंग्रेजी की एक बहुत मशहूर कविता है -" Death the Leveler "इस काविता को हाई स्कूल या इंटरमीडिएट के उन सभी विद्यार्थियों नें पढ़ा होगा जो अंग्रेजी को एक विषय के रूप में लेते हैं...
View Articleजाग मछन्दर
निकल भागा ,निकल भागा ,डाट खुलते हीकळूछाबन्द बोतल का निशाचर ।तमस की उठती घटायेंअग्रजन की धूर्ततायेंभ्रष्ट तन्त्री कुटिलतायेंदे रहीं भय-भूत कोअति प्रस्तरण की संभ्भावनायेंबाग़ की हर शाख परहै लगा उसका...
View Articleअपराध स्वीकृति
हो पूछ रहीआधार अस्वीकृति का मेरीआलेख असंगति का मेरीमेरे विजडन का अर्थपलायन की गाथाक्यों आत्म -दैन्य सेझुका रहा मेरा माथाजो दर्द शब्द से परेन उसको कहलाओजो व्यथा -घाव भर रहान उसको सहलाओमाना रंगिणि...
View Articleदस साल
दो अगर सहमति ,बता दूं विश्व को अपनी कहानीक्या पता सन्देश कब आ जाय प्रिय उस पर से ।बात तो वैसे पुरानी हो चुकी हैप्यार की स्मृति न मन पर भूल पायाअनकही अन्तर्व्यथा से विद्ध होकरजानती हो सुमुखि ,कितना शूल...
View Articleपुनर्व्याख्या का प्रयास
"ललित साहित्य से सम्बन्धित प्रत्येक नर- नारी अपनें मन में ऐसा विश्वास पालनें लगता है ,कि सामान्य जन समुदाय को नये जीवन मूल्य बोधों से अवगत करा सकता है । सृजनात्मक साहित्य के रचयिता कभी -कभी इस...
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सम्पादकीय अभिव्यक्ति में सृजनात्मक अभिव्यक्ति की सी सहजता ला पाना लगभग असंभ्भव सा हो जाता है यही कारण है कि अधिकतर सम्पादकीय पत्रिकाओं के कलेवर में सिमटे हुये लेखों,आलेखों...
View Articleबौनी पौध
यह बौनों का देश यहाँ झुककर चलना हैपग -पग पर विस्फोट यहां रुक -रुक चलना है ।कोलाहल में कोई भी स्वर साफ़ नहीं हैमैं -मैं ,तू -तू की है बज रहीं नकारेंनिर्वासिता नारी की चीखें गूँज रही हैंअब कुकृत्य का करना...
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अलग -अलग समाजों की अलग -अलग धार्मिक ,दार्शनिक मान्यतायें हैं । चेतन की उत्पत्ति और फिर एक अकल्पनीय अन्तराल के बाद मानव जाति का अवतरण न जानें कितनी अबूझ व्याख्याओं से घिरता -उलझता...
View Articleमाया महाठगनी मैं जानी
मेरे घर से सटी उस छत परएक टिटहरी बैठ उड़ जाती हैटें टें , टिटिर टिटिरउड़ उड़ चिल्लाती हैउडती है ,बैठती हैउड़ उड़ बैठ जाती है किसको बुलाती है ?कभी उत्तर से या कभी दक्षिण सेकभी कभी पूरब सेकभी कभी पश्चिम सेएक...
View Articleएक मात्र सत्य
कल तकइन वाणों की नोकों सेसहस -सहस शत्रु -सिरछेदे थेकल तकइस धनु प्रत्यन्चा सेखींच शरलाखों लक्ष्य भेदे थेकितना अभिमान थाअप्रतिम ,अपराजित होनें कामिथ्या दंभ्भ ढोनें का । शरों की नोंकें आज भोंडी हैंधनु की...
View Articleबस इतना ही काफी है
सपनें अब टूट गयेदेह आसक्ति के बन्धनहो ढीले ,सब छूट गयेप्राण -शहनाई की गूँजअभी बाकी हैइतनी ही पूँजीमेरे कवि के लिये काफी है ।पर -जन्य पंखों पर उड़ता हूँवृन्त -हीन पत्तों सावायु के झकोरों परफिरता हूँ...
View Articleचाह का टटकापन
टटका चाहता हूँउपनिषद ,गीता ,बाइबिलगुरु ग्रन्थ ,गांधी -सारआँखों के रास्ते हुये परमिथ्या है भाग -दौड़अटका चाहता हूँटटका चाहता हूँ ।गंगाधर ,गोरखनाथ ,गुग्गापीरहरि का चरणोदक हीतरल -धवल सुरसरि नीरसीधी राह सार...
View ArticleArticle 1
आप सभी जानते हैं कि एक अरब बीस करोड़ भारतीयों के लिये 'आधार 'नाम की एक योजना काम कर रही है । अंग्रेजी में इस योजना को ' Unique Identification of India 'के नाम से जाना जाता है और...
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धरती पर जीवन का आविर्भाव क्यों और कैसे हुआ ?इस विषय पर विश्व के मनीषियों के मत -मतान्तर युगों -युगों से ध्वनित होते रहे हैं । मानव आविर्भाव के पीछे आकस्मिक संयोजन की शक्ति थी या...
View Articleगन्ध मादन की गुफा से
गन्ध अपनें में न तो आनन्द देनें का सकारात्मक भाव छिपाये है न नकारात्मक । गन्ध में उपसर्ग जोड़कर ही हम उसे सुरूपता या कुरूपता प्रदान करते हैं । गन्ध जब सुगन्ध बन जाती है...
View Articleन्यायालय की ड्योढ़ी पर
सिंहासन बत्तीसी की मनोरंजक न्याय कथायें सम्भवतः इतिहास के ठोस प्रमाणों पर सही साबित न हो सकेंगीं । पर उत्तर भारतीयोंके मन में यह बात गहरायी से बैठी हुयी है कि...
View Articleसमता का जयघोष
समता का जयघोष--------------------- शाम का धुँधलकाखण्डित चेतन प्रवाहउतरी है शीत लहरसिकुड़े तन सिकुड़े मनकार्य ठप्प ,रुद्ध द्वारजड़ता जगी ,थकित प्यारबोला एक नारी स्वरयह आकाश वाणी हैपूर्व कम्बोडिया मेंफिर से...
View ArticleArticle 2
हम वैज्ञानिक सोच और कार्य कारण विश्लेषक द्रष्टि का समर्थन इसलिये करते हैं क्योंकि इनके द्वारा भौतिक सत्य के निर्विवाद रूप तक पहुँचा जा सकता है । आत्मा की उल्लिखित...
View Articleकरो या मरो
करो या मरो---------------हाँ तुम्हें मुझ पर हंसने का पूरा हक़ हैचाहो तो मुझसे घृणा कर सकते होया ...... या मुझ पर तरस खा सकते होमैनें तुम्हें बुद्ध ,ईसा और गान्धी केआदर्शों पर चलने को कहामैनें तुम्हें...
View Articleधरा अवतरण हंसवाहनी का (जीवन स्मृति )
धरा अवतरण हंसवाहनी का (जीवन स्मृति )तथ्य सत्य तभी बनते हैं जब वे आत्म अनुभूति के दायरे से गुजरात हैं । संसार में जन्म और मरण की प्रक्रिया अनवरत ढंग से चलती रहती है और...
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