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क्या सार्थक ? क्या निरर्थक ? क्या सार्थक ? क्या निरर्थक ? ललित साहित्य के सभी सुधी पाठक इन दिनों साहित्य रचना की जिन...
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कुन्जरपुर की रामलीला सूत जी आगे बोले , "मन्दिर पुनुरुद्धार के काम में मैं एक छोटे से गाँव कुन्जरपुर में जा पहुंचा | गाँव के एक कोनें में एक छोटा पानी का भराव था | बरसात में...
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श्रद्धेय गणेश शंकर यिद्यार्थी जी की स्मृति में .आत्मवादी विचारक उस रहस्यमयी साधना की वकालत करतें हैं जो मानव को जीवन -मरण के चक्र से मुक्ति दे सके। अनात्मवादी विचारक मुक्ति ,निर्माण ,मोक्ष ,कैवल्य या...
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स्वप्न सोपान पण्डित जी का प्रवचन चल रहा था ,"जीवन एक सपना है । हम सपनें में न जाने क्या क्या देखते हैं । कहीं आकाश की सैर करते हैं , तो कहीं गहरी घाटियों में घूमते रहते हैं ।...
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आस्तिक दर्शन फ्रांस के किसी दार्शनिक लेखक नें भारत की औपनिषदिक विशेषताओं का उल्लेख करते हुए एक मनोरंजक कहानी का हवाला दिया है । वह लिखता है कि उसे काशी का एक चिन्तनशील ब्राम्हण मिला...
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जनकथाओं का नीतिशास्त्र हितोपदेश की इस कहानी से भारत के सभी शिक्षित -अशिक्षित परिचित ही होंगे क्योंकि यह कहानी बूढ़ी दादियों -नानियों और संस्कृत के पण्डितों के मुँह से न जाने...
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जनकथाओं का नीतिशास्त्र (गतांक से आगे ) जिस दिन तिकड़ी कुछ नया करने की बात कहकर वहाँ से चली गयी थी उसी रात एक गरीब दिखने वाला जंगली आदमी सरदारी का खिताब जीतने वाले नवयुवक के पास आया...
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नई डगर चल रहा हूँ जो डगर अब तक रही अनजान हैइसलिये सब कह रहे हैं यह सिर - फिरा इन्सान हैहंस रहीं प्रिय तुम , जगत उपहास करतास्वप्न -जीवी कह न मुझसे बात करतासोचता जग मैं पुरानी लीक पर चढ़ बढ़ता चलूँस्वर्ग...
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ढेर सारे काम हम इसलिये नहीं करते क्योंकि हमारे आस -पास एक समाज है | कई दार्शनिक और प्रगतिवादी विचारक यह मान कर चलते हैं कि मानव जन्म से ही श्रेष्ठतर मानसिक संस्कार लेकर आता है | और...
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गौरैय्या स्मृति उस दिन छत पर लेटे संध्या की द्वाभा मेंमैं सोच रहा था कुछ सुख दुःख की बात लिखूँस्वर दे दूँ किसी विरहनी की मन पीड़ा कोउसके जलते दिन और तड़फती रात लिखूँकाजल कोरों से छलक रही जल कणिका कामैं...
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अबूझा समाधानपपीता लेकर संकट मोचन मन्दिर के पास वाली गली से घर की ओर वापस आ रहा था | मन्दिर के पास मझोले कद के एक मजदूर से लगने वाले नवयुवक ने मास्टर जी कहकर नमस्ते किया | मैं ठीक से नहीं...
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यह उस युग की बात है जब जिसे हम आज इतिहास के नाम से जानते हैं उसका प्रारम्भ भी नहीं हुआ था। स्मृति में बहुत पहले की सहेजी महाकाब्यों में समावेशित धुंधले पुराकाल की कथायें अब स्पष्ट रूप से उभरने...
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क्या सार्थक ? क्या निरर्थक ? ललित साहित्य के सभी सुधी पाठक इन दिनों साहित्य रचना की जिन विधाओं को अधिक संरक्षण प्रदान कर रहे हैं उनमें कथा साहित्य प्रमुख है | अंग्रेजी में जिसे...
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जन्माष्टमी पूजन चारो ओर से घनी वृक्षावलियों से घिरा अभ्यारण्य के मध्य में मानव -श्रम द्वारा स्वच्छ सपाट किया हुआ एक विस्तृत मैदान। मैदान के दाहिने पार्श्व में छोटे -छोटे कृषि...
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वर्तमान की परिभाषा करना इसलिये दुष्कर ही नहीं वरन असाध्य हो जाता है क्योंकि परिभाषा को कहते कहते वर्तमान अतीत हो जाता है और भविष्य की ओर पैंगें बढ़ा देता है |...
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शात कर्णी (गताँक से आगे ) एक वर्ष के अन्तराल के बाद माता श्री गौतमी के नव निर्मित भवन के सामने विशाल प्रस्तार में कुछ अश्वों के रुकने की खुरभुर। एक विशालकाय योद्धा विद्दुति गति...
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परशुधर की ओर वाल्मीक रामायण में महाकवि नें परशुराम का आगमन उस समय दिखाया है जब श्री राम और सीताजी का ब्याह संपन्न कराकर राम अयोध्या की ओर प्रस्थान कर रहे थे वहाँ भी उनके आगमन की सूचना प्रकृति में...
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गतांक से आगे - मतगणना समाप्ति की ओर बढ़ रही थी | दयानन्द हरनन्द से 25 वोटों से आगे चल रहा था | अभी एक क्लास बी. काम. थर्ड इयर की वोट गणना बाकी थी | इस क्लास में करीब...
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( गतान्क से आगे। ……। ) महाकाव्यीय काल में पैठने से हम एक रहस्य से दूसरे रहस्य में फँसते चले जाते हैं । उन गहरे रहस्यों से दूर मध्य काल के साहित्य में भी कई...
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..................................स्पष्ट था कि गाड़ी नदी के पार नहीं जा सकती थी । डोंगी चलाने वाले मल्लाह नें बताया कि पुल पार से आने के लिये दो कोस का चक्कर लगाना होगा । अन्धेरा हो चला था । नदी के...
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