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केंचुल निस्तरण

                          गोस्वामी तुलसीदास निसंदेह हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ  कवि हैं और यद्यपि वात्सल्य चित्रण के क्षेत्र में सूरदास उनसे बाजी मार ले जाते हैं पर सब मिलाकर समग्रता के सन्दर्भ में तुलसी की...

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सायँ दर्शन

अस्तंगत रवि ,धूमिल मग लौटे नभ चारीरजत रेख ,हिम श्वेत वेष चलने की बारीसप्त दशक उड़ गये काल के पँख लगायेकौन अपरिचित किस सुदूर से मुझे बुलाये\ठहरो हे अनजान ,अभी जग प्यारा लगतापार्थिव बोध  सभी बोधों से...

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योरोपीय सभ्यता ..........

                              योरोपीय सभ्यता ,प्राचीन यूनानी सभ्यता को अपने आदि श्रोत के रूप में स्वीकार करती है । निसन्देह ईषा पूर्व यूनान में विश्व की कुछ महानतम प्रतिभायें देखने को मिलती हैं ।...

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सत्रहवीं शताब्दी का उत्तरार्ध -आलमगीर

                   औरंगजेब जिन्होनें आलमगीर की उपाधि धारण की थी और जिन्हें अन्तिम समर्थ मुग़ल सम्राट कहा जाता है और जिनके शासन के अन्तिम वर्षों में मुग़ल साम्राज्य विखण्डित होने लगा था । मुग़ल शहंशाहों के...

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भारत की शासन व्यवस्था अब .................

                                 भारत की शासन व्यवस्था अब अपने संचालन के लिये रूपजीवा नारियों और छवि मस्त सिनेकारों का आश्रय खोजने लगी है । मैनें कहीं पढ़ा था कि फिल्म मुगलेआजम के रिलीज होने के बाद...

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हर ऋतु का एक ..........

                          हर ऋतु का एक श्रँगार होता है । यह श्रँगार हमें मोहक लगे या भयावह ऋतु का इससे कोई सम्बन्ध नहीं होता । प्रकृति की गतिमयता अबाध रूप से प्रवाहित होती रहती है । ब्रम्हाण्ड में तिल...

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ईशा से सैकड़ों वर्ष पहले ........

                           ईशा  से सैकड़ों वर्ष पहले यूनान में एथेन्स की सडकों पर नंगें पाँव घूमने वाले शासन द्वारा उपेक्षित ,साधन रहित दार्शनिक के शब्दों में एक ऐसा जादू था जिसनें एथेन्स के अधिकाँश...

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आज सभी यह .................

                                     आज सभी यह मान रहे हैं कि सारा विश्व एक ग्राम बन चुका है । वैश्विक चिन्तना का विकास अधुनातन मानव सभ्यता का एक अनिवार्य अंग बन चुका है । ऐसा चिन्तन उचित भी है और मानव...

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नोबेल पुरुस्कार विजेता ...................

                                   नोबेल पुरुस्कार विजेता अमृत्य  सेन की प्रसिद्ध किताब है ( " The Argumentative Indian." ) द  अर्गूमेन्टेटिव इण्डियन । उनके अनुसार भारत के लोग व्यर्थ की बहस मुहायसे में...

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वह प्यार कहाँ से लाऊँ

सब धर्म- कौम घुल मिल हों हिन्दुस्तानीवह प्यार कहाँ से लाऊँहो जहाँ न पंडा -मुल्ला की नादानीसंसार कहाँ से लाऊँमेरी वाणी का बल सीमित है साथीप्रतिरोधों की दीवाल बहुत भारी हैदो चार बूँद मधु गिरने से क्या...

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चिन्ता दोपहरी

                     जब कभी सृजन के गीत पिरोने बैठा हूँजब कभी तूलिका से आकाश उतार हैसौ धूमकेतु घिर -घिर आये हैं आँखों मेंहर बार  तड़प कर  गीत गद्द्य से हारा है ।जब -जब गुलाब की कलम लगाने बैठा हूँबन्ध्या...

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शिव धनुष

कहते हैं तन  बूढ़ा होता ,मन भला कहीं बूढ़ा होतापर मेरा मन बुझ चुका देह में अब भी लपट लपकती हैमत कहीं समझ लेना मैं युग से कटा हुआस्खलित -वृन्त पीताभ पत्र एकाकी हूँया पिछले दो दशकों में पनपी पीढ़ी मेंमैं ही...

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बोली शहादत की

कर बोली देना बन्द अगति के व्यापारीयह गीत बिकाऊ नहीं स्वेद का जाया हैयह गीत समर्पित है खेतों खलिहानों कोयह गीत धान की पौध- रोपने आया हैयह गीत गरम लोहे पर सरगम बन गिरतायह गीत क्रान्ति- सिंहासन का द्रढ़...

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जाग मछन्दर

निकल भागा ,निकल भागा ,डाट खुलते हीकलूछाबन्द बोतल का निशाचर ।तमस की उठती घटायेंअग्रजन की धूर्ततायेंभ्रष्ट तन्त्री कुटिलतायेंदे रही भय -भूत कोअति प्रस्तरण की संभ्भावनायेंबाग़ की हर शाख परहै लगा उसका...

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विकट संघर्ष

चार पंक्तियाँ लिखूं या कि दो पौधे रोपूँमन का यह संघर्ष विकट हैपरवाना आ गया निकट है।  मूल्यों की पहचान अभी तक रही अधूरीसदा पकडनें को दौड़ा मैं झूठी कायाआत्म केन्द्रित दर्शन की वर्तुल राहों मेंअहँकार का...

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आत्म भर्त्सना

जीता हूँशास्त्रों ने कहा हैजीवन वरदान हैऔर फिर मानव का जीवन तोकर्मयोनि विमत पुल्य -श्रृंखला काचरम प्रतिदान है ।कर्म योनि -अर्थ क्या ?सुबह शाम रस हीन दिनचर्यासस्ते फिल्म ,भोडे गान क्षणिक उत्तेजना काफी...

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सारे जीवन की असफलता स्वीकार मुझे

सारे जीवन की असफलता स्वीकार मुझेअभिशापित जीवन ही मैं जीता जाऊंगाहै शपथ त्रसित मानवता की मुझको साथी हर घूँट गरल का  हँस हँस पीता  जाऊँगांजब तक शरीर में साँस ,साँस में दम बाकीनीलाम नहीं होने दूगां अपनी...

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नवागत का स्वागत

आओ अनजानेंइस धरती की छाया में स्वागत तुम्हारा हैआये हो उषाकालकहकर पुकारा जिसेऋषियों ने ब्रम्ह- बेलापर जिस गृह में तुम आये निर्देशित होसंचारित वहाँ है धुआँसुलगती अंगीठी कामन की घुटन सातिक्त ,मारक ,कसैला...

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Article 1

  ऋचाओं से पूर्व           उन दिनों उत्तराखण्ड का एक बहुत बड़ा भाग घनें जंगलों से   आवृत्त था । यदा - कदा घने जंगलों को काट कर छोटी -मोटी बस्तियां बन गयी थीं । जहां कृषि ,फल संचयन और आखेट के  माध्यम से...

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दस साल

दो अगर सहमति , बता दूँ विश्व को अपनी कहानीक्या पता सन्देश कब आ जाय प्रिय  उस पार से ।बात  वैसे तो  पुरानी हो चुकी हैप्यार की स्मृति न मन पर भूल पायाअनकही अन्तर्व्यथा से विद्ध होकरजानती हो सुमुखि ,कितना...

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