आज सभी यह मान। ……
आज सभी यह मान रहे हैं कि सारा विश्व एक ग्राम बन चुका है । वैश्विक चिंतना का विकास अधुनातन मानव सभ्यता का एक अनिवार्य अँग बन चुका है । ऐसा चिन्तन उचित भी है और मानव सभ्यता के...
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View bloga·Post Post settings Labels Published on 14/06/2015 19:58Pacific Daylight Time Permalink Location Options Complain to Google
View ArticleAaldas Haqjale...........
आल्डस हग्जले जैसे विचारक और विन्स्टन चर्चिल जैसे महान राजनीतिज्ञ ऐसा मान कर चलते थे कि आजादी मिल जाने के बाद भारत थोड़े...
View ArticleKumbh Karan
कुँम्भकरणक्या सचमुच चाह रहे साथी ?हर भेद -भाव हर ऊँच -नीचउठ जाय देश की धरती सेसोने की फ़सलें उमग उठेंहर बंजर से हर परती सेजो...
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कुछ इधर की कुछ उधर की सिलिकॉन वैली (अमेरिका )के तकनीशियनों के एक सम्मलेन को सम्बोधित करते हुये संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति...
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गौरय्या स्मृति उस दिन छत पर लेटे संध्या की द्वाभा मेंमैं सोच रहा था कुछ सुख -दुःख की बात लिखूँस्वर दे दूँ किसी विरहनी की मन पीड़ा कोउसके जलते दिन और तड़फती रात लिखूँकाजल कोरों से...
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दिब्य- नूपुरअब कहूँ हर साँस मेरी बस तुम्ही से सार्थक है या कि तुमको घेर कर ही स्वप्न मेरे सज रहे हैं ,बस तुम्हारी देह में भूगोल सिमटा है हमाराया कि स्वर में बस तुम्हारे दिब्य -नूपुर बज रहे हैं ।तो कथन...
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प्रश्न उत्तर माँगते हैंहजारों साल से फसलें उगाता जा रहा हूँ भूख की डाईन निरन्तर बलि अभी तक पा रही है । काहिरा से सोन तट सब भर दिये वस्त्रा भरण सेश्रम रता धनिया चिता पर अर्ध नग्ना जा रही है ।प्रश्न...
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सायँ दर्शनअस्तंगत रवि ,धूमिल मग लौटे नभ चारीरजत रेख ,हिम श्वेत वेष चलनें की बारीसप्त दशक उड़ गये काल के पंख लगाये कौन अपरिचित किस सुदूर से मुझे बुलायेठहरो हे अनजान ,अभी जग प्यारा लगतापार्थिव बोध सभी...
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प्राणोँ की महावरअर्चना की सुरभि प्राणों की महावर बन गयी जब ,देह की आराधना का अर्थ ही क्या ?साँस का सरगम विसर्जन गीत का ही साज है ,मृत्तिका के घेर में क्या बंध सका आकाश है ,चाह पंख पसार जब पहुँची...
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मोक्ष ,निर्वाण ,कैवल्य या दिब्य समाधि की धार्मिक -दार्शनिक धारणायें जीवन सम्पूर्णता को पाने का श्रेष्ठतम मानव प्रयास ही है । पूर्णत्व की संकल्पना विभिन्न सन्दर्भों में परिवर्तन के...
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स्वतंत्रता दिवस परिशिष्ट हमारा देश इस वर्ष 15 अगस्त 2015 को स्वतन्त्रता दिवस की 68 वीं वर्षगाँठ मनायेगा । इस अवसर पर हम उन शहीदों को याद करेंगें...
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विकट संघर्षचार पंक्तियाँ लिखूँ या कि दो पौधे रोपूँमन का यह संघर्ष विकट हैपरवाना आ गया निकट हैमूल्यों की पहचान अभी तक रही अधूरीसदा पकड़ने को दौड़ा मैं झूठी कायाआत्म केन्द्रित दर्शन की वर्तुल...
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सागर माथा सेकंचन जंगा के शिखर बैठ मैंने देखादायें बायेंधूसर विराटभारत माँ का भुज युग प्रसारहै शिरा जाल सी सींच रहीगिरिषुता जिसे हिम काट -काट ।पग तल घेरे योजन हजारकीर्तन रत सागर महाकारमाँ के चरणों को...
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आस्तिक दर्शन फ्रांस के किसी दार्शनिक लेखक नें भारत की औपनिषदिक विशेषताओं का उल्लेख करते हुए एक मनोरंजक कहानी का हवाला दिया है । वह लिखता है कि उसे...
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आस्तिक दर्शन ( शेष …… ) ऐसा उसनें इस लिए कहा क्योंकि कितनें ही सांसद चुनाव हार जाने के बाद भी सरकारी बंगले और निवास स्थान नहीं छोड़ते और क़ानून...
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हमारे सत्य के अतिरिक्त भी सच हैमैं हिमालय सा अटलनम- शयनिका पर काल -कीलित ध्रुव कला हूँसोचता थाएक हल्की कालिमा जब नाक के नीचे लगी थी खेलनें।मनुजता के मूल्य मेरे पैर के घुँघरू बनेंगेंऔर गुरु की खोज में...
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कालजयी नर श्रष्टितुलते रहे इतिहास में सदा ही क्रान्ति द्रष्टा जन नायकमाप तौल श्रष्टि की सनातन परिपाटी हैमूल्यों की तुला पर तुलते रहे हैं शीशतिल -तिल कर कटती रही अत्याचार माटी है ।मनुजता के मापदंड...
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सीटी दे रहा घास का टिड्डा नई तकनीक से निर्मित धमन भट्टी स्वतः चलित जड़न पट्टा नये तकुये नई -धुरियाँ, नयी ज्यामित कसीदे की मिया गिरी जगरमग चौंध देती है कला की कर्मशाला मगर भयभीत स्वर में है निदेशक कक्ष...
View ArticlePauraanik Saahity........
पौराणिक साहित्य के बहुचर्चित कथाकार नरेन्द्र कोहली जी की कल्पना है कि श्रष्टि नियन्ता एक बहुत बड़ा उपन्यासकार है । वह न जाने कितनें पात्रों का सृजन करता है और कथा सूत्र...
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