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समता का जयघोषशाम का धुंधलकाखण्डित चेतन प्रवाहउतरी है शीत लहरसिकुड़े तन ,सिकुड़े मनकार्य ठप्प ,रुद्ध द्वारजड़ता जगी ,थकित प्यारबोला एक नारी स्वरयह आकाश वाणीं हैपूर्व कम्बोडिया मेंफिर से हुयी राज्य-...

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                            Steven Benner  नें फ्लोरेन्स में आयोजित जीव वैज्ञानिकों की महासभा को सम्बोधित करते हुये जीवन की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अपनी नयी खोजों से विद्वानों को हैरत में डाल दिया था |...

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Article 1

                                                         कभी पढ़ा था | ठीक याद नहीं ,प्रारम्भिक यौवन के किस पायदान पर जेसस क्राइस्ट के ट्रायल की बात पढ़ी थी | सुनवाई करनें वाले जज पाइलेट नें एक प्रश्न कर...

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सारे जीवन की असफलता स्वीकार मुझे-----------------------------------------------------सारे जीवन की असफलता स्वीकार मुझेअभिशापित जीवन ही मैं जीता जाऊँगाहै शपथ त्रसित मानवता की मुझको साथीहर घूँट गरल का हँस...

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Article 1

"वन्दे मातरम् " !सुजलां सुफलां मलयज शीतलामशस्यश्यामलं मातरम् |शुभ्र ज्योत्स्ना -पुलकित यामिनीम ,फुल्लकुसुमित -द्रुमदल शोभिनीमसुहासिनी सुमधुर भाषिणीमसुखदां ,वरदां मातरम || वन्दे मातरम-----------------...

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मौत से दो -दो हाथ------------------------कल रात मौत से हाथ किये दो दो मैंनेंकल रात मौत को घाव दिये मैनें गहरेकुछ बात इस तरह हुयी किघर की छत ऊपर मैं सोया थाधीमी बयार की थपकी पातन्द्रिल लहरों में खोया...

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वास (न ) सुवास----------------------जान सका यह  सत्य अभी तक के जीवन  मेंमर जाता है प्यार वासना मर- मर जीतीअमर वासने अमिट तुम्हारी राम कहानीभू कुंठित लुंठित नृप योगी -ज्ञानी मानीकालचक्र सी प्रबल शताधिक...

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                                 आज सभी यह मान रहे हैं कि सारा विश्व एक ग्राम बन चुका है | वैश्विक चिन्तना का विकास अधुनातन मानव सभ्यता का एक अनिवार्य अंग बन चुका है | ऐसा चिन्तन उचित भी है और मानव...

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Article 5

मेरे विनाश पर क्या रोना ?---------------------------------मेरे विनाश पर क्या रोना ?जब टूट रहे गिरि  श्रंग सदा से धरती परजब खण्ड खण्ड हो शिला रेत बन जाती हैजब कठिन तपस्या से रक्षित मन -रन्ध्रों...

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Article 4

स्वप्न सुन्दरी-------------------गढ़ तो चुका हूँ रूप प्रतिमा तुम्हारी मैंकेवल तनिक सी तराश अभी बाकी हैधरती से अम्बर तक सुषुमा बटोरी हैसतरंगी झालर से झूमर चुराये हैंकंठ में झरती निर्झरिणीं उतारी हैवक्ष...

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Article 3

नहीं जानता-----------------ज्योंनभ -परी नृत्य रतमुक्त बालकब कोई रूपाकृति गढ़ देनीलाम्बर का प्रतिबिम्बजिसे नित हीरक -हारों सेमढ़ देनहीं जानता |मेरे मन की अगनितशंका कुल छायायेंतर्क -वितर्को कीदीपित धूमिल...

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Article 2

जाग मछन्दर---------------------निकल भागा ,निकल भागाडाट खुलते हीकलूछाबन्द बोतल का निशाचर |तमस की उठती घटायेंअग्रजन की धूर्ततायेंभ्रष्ट तन्त्री कुटिलतायेंदे रहीं भय -भूत कोअति प्रस्तरण की संम्भावनायेंबाग़...

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Article 1

                             हर ऋतु का एक श्रृंगार होता है | वह श्रृंगार हमें मोहक लगे या भयावह ऋतु का इससे कोई सम्बन्ध नहीं होता | प्रकृति की गतिमयता अवाध रूप से प्रवाहित होती रहती है | ब्रम्हाण्ड में...

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                             भारत की सांस्कृतिक परम्परा और धार्मिक प्राणपरता यह मान कर चलती है कि मनुष्य का जीवन प्रभु की एक दुर्लभ देन है | गोस्वामी जी की इस पंक्ति से तो आप हम सब परिचित ही हैं -बड़े...

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                             योरोपीय सभ्यता प्राचीन यूनानी सभ्यता को अपनें आदि स्रोत के रूप में स्वीकार करती है | निः सन्देह ईसा पूर्व यूनान में विश्व की कुछ महानतम प्रतिभायें देखने को मिलती हैं |...

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                      यूनानी दार्शनिक अफलातून ( प्लेटो ) नें मानव स्वभाव की विवेचना  के सन्दर्भ में कहा था कि बन्द थियेटर या संगीत दीर्घा में कुछ घण्टे बैठनें के बाद विद्वान से विद्वान व्यक्ति कुछ समय...

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                              अंकगणतीय कुहासों से भरी काल की किस सीमान्त रेखा पर कोटि -कोटि वर्ष पूर्व पदार्थ में निहित चेतना स्वतन्त्र रूप से गतिमान हो सकी यह अबूझ प्रश्न अभी तक अनुत्तरित ही रहा है |...

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Article 2

                                            वर्तमान की परिभाषा करना इसलिये दुष्कर ही नहीं वरन असाध्य हो जाता है क्योंकि परिभाषा को कहते कहते वर्तमान अतीत हो जाता है और भविष्य की ओर पैंगें बढ़ा देता है |...

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Article 1

                             'माटी 'के एक सुधी पाठक ज्ञान रंजन वशिष्ठ द्वारा प्रेषित एक पत्र अपनें में कुछ विचारणीय सुझाव समेटे हुये है | पत्र को अपनी सम्पूर्णतः में नीचे उदधृत कर हम उसमें दिये गये...

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ईस्वरीय वरदान-----------------------आयीं तुम कन्येतीन बन्धुओं के बादमेरे घर मेरे द्वार |चाहिये था मुक्त हृदय स्वागत तुम्हाराईश्वरीय वरदानस्वर्ण किरणकल्प -तरु कोपल सीकिन्तु जड़ आत्मघाती ब्राम्हण...

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