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समानान्तर कथा जाल

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                                जर्मनी में प्रचलित जन कथा जो फेथफुल जान के नाम से जानी जाती है और दक्षिण भारत  में प्रचलित राम और लक्ष्मण की पुरानी जनकथा में अद्धभुत समानता पायी जाती है । यह राम और लक्ष्मण महाकाब्य रामायण के राम और लक्ष्मण नहीं हैं । भले ही उनकी वफादारी और मित्रता महाकाव्यीय स्तर की हो । ऐसा लगता है कि  जब आर्यों के विभिन्न कबीले अलग -अलग दिशाओं में चल पड़े तो उनके पास जनकथाओं का एक सम्मिलित भण्डार था । एक कबीला गंगा और सिन्ध की ओर चल पड़ा और दूसरा राइन और एल्बे की ओर ।
                               इन कबीलों के पास जन कथा के मूल तत्व स्मृति में उपस्थित थे । एक अत्यन्त सुन्दरी राजकुमारी के  चित्र के द्वारा या स्वप्न के द्वारा महान शक्तिशाली युवक राजकुमार के द्वारा देखा जाना । उस राजकुमारी की तलाश में अपने एक अत्यन्त विश्वस्त शूरवीर और शक्तिशाली  साथी के साथ निकल पड़ना । घने जंगलों के बीच खुंखार पशुओं से मुठभेड़ और रोमाँचक विजय । ऊंचाई पर स्थित अभेद्य किले में बन्द राजकुमारी तक  पहुंचने के लिये आस -पास की गहरी जलभरी वर्तुल खादान में खुंखार जन्तुओं से लड़कर पार करने का प्रयास और किले की अभेद्य दीवारों पर चढ़कर करिश्माई ढंग से अन्तर प्रवेश । प्रेम और मिलन और फिर दूर गये किसी अपावन शक्ति से जो किले में राजकुमारी को बन्द कर उसे विवश कर रहा था जान लेवा मुकाबला ,विजय और विश्वस्त मित्र के साथ अपने राज्य की ओर प्रत्यागमन । रास्ते में किसी पक्षी जोड़े की आपस में हुयी बात चीत को सुनना । यह पक्षी चाहे काग युग्म हो चाहे रात घुमन्तू उल्लू की प्रजाति ,चाहे शुक -शुकी का जोड़ा हो या फिर हँस युग्म । राजकुमार का विश्वस्त मित्र उन सब की भाषा का व्याख्याता विशारद तो होना ही चाहिये ताकि उनकी सुनी  हुयी बातों को वह समझ सके , और राजकुमार और राजकुमारी को आने वाले संकठों से बचा सके । ऐसा करने में भले ही उसके प्राण जायँ या वह पत्थर के रूप में बदल जाय इसकी उसे कोई चिन्ता नहीं होती और फिर अन्त में सुखद समाप्ति के पटाक्षेप का आयोजन होता है । सुखद पटाक्षेप का आयोजन अभिनीत हो।  जर्मनी की Faithful John शीर्षक नामक कहानी में राजकुमार सौन्दर्य सुन्दरी के चित्र को अपने पिता के महल की चित्र वीथिका में देखता है । राजा ने राज्य के अत्यन्त वीर और विश्वासपात्र नवयुवक जान को चित्र वीथिका की रखवाली करने को कहा था और उसे स्पष्ट निर्देश दिया था कि राजकुमार को कभी चित्र वीथिका में घुसने न दिया जाय और यदि वह आग्रह करे तो उसे सैनिकों द्वारा बन्दी बना लिया जाय । पर जान था जो अपने बचपन के साथी राजकुमार के लिये एक क्या सैकड़ों जानें निछावर कर सकता था । सौन्दर्य सुन्दरी की तलाश में राजकुमार और जान दोनों एक नाव पर कीमती आभूषण और वस्त्र लादकर व्यापारी के वेश में निकलते हैं । राजकुमारी के देश के पास समुद्र के किनारे नाव लंगर डालती है । नगर भर में आभूषणों वस्त्रों और प्रसाधन के सर्वथा नये साधनों से भरी नाव की चर्चा होने लगती है । राजकुमारी भी सैनिकों की रक्षा में नाव तक आती है । सैनिक किनारे खड़े होते हैं । राजकुमार नाव के अन्तिम हिस्से में चारो ओर से घिरे रेशम के एक गुम्मदनुमा विश्राम स्थल पर बैठा है । Faithful John राजकुमारी को भिन्न भिन्न आभूषण दिखाता है और फिर उसे नाव से भरे विशाल आभूषण और वस्त्रों को देखने के लिये नाव पर चढ़ आने को कहता है । एक एक करके देखती और आश्चर्य करती राजकुमारी और उसकी विश्वास प्राप्त सहेली नाव पर आगे बढ़ती है । रेशमी गुम्बद को  थोड़ा सा उठाकर राजकुमार राजकुमारी  देखता है और फिर जान को कुछ इशारा करता है, अचानक तेजी से नाव चल पड़ती है और सैनिक जान ही नहीं पाते कि क्या हो रहा है । राजकुमारी और उसकी सुन्दरी सहेली आभूषणों को कलाइयों और गले में पहन पहन कर देख रही हैं और बहाना कर रही हैं कि उन्हें नाव के चलने का पता ही नहीं है । शायद राजकुमारी ने भी राजकुमार का चित्र कहीं देखा हो या उसकी वीरता की चर्चा कहीं सुनी हो तो अब नाव को आगे तिरने दीजिये और आगे कौवा और कव्वीकी बातचीत सुनकर फेथफुल जान के कारनामों की कहानी जानने लिये जर्मनी के कथा साहित्य पर नजर डालिये । वहाँ अनेक छिपे रत्न आपको दिखायी पड़ जाएंगें । फिलहाल दक्षिण में प्रचलित जनकथा जिसे फथफुल  लक्ष्मण के  नाम से अभिहित किया जा सकता है की ओर चलते हैं । राम ने किस प्रकार दक्षिणांचल की सौन्दर्य सामग्री को लक्ष्मण की योजना से   प्राप्त किया । इसका पूरा विवरण दक्षिण की कथा संग्रहों में आप पा सकते हैं । अभी तो हम राम और लक्ष्मण के साथ उनके गृह वापसी के दौरान क्या घटा इसकी चर्चा करना चाहेंगे । (क्रमशः )

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