..........................तीनों धूर्त शर्त के मुताबिक़ उसे अपना सरदार माननें पर मजबूर थे । सरदार होने का मतलब था कि उसे वह सब माल -टाल दिखाना होगा जो उन तीनों ने बहुत लम्बे समय से अपनी धूर्तता के बल पर ठग -लूट कर इकट्ठा किया था । धूर्त परीक्षार्थी केवल तीन बैल लाकर ही सोना -चाँदी और रत्नों के भण्डार का मालिक होने जा रहा था । कैसे बर्दाश्त किया जाय उन तीनों ने मिलकर एक सांठ -गाँठ की सरदारी परीक्षा पास धूर्त नवयुवक को चतुरायी पूर्वक रास्ते से हटा दिया जाय । जर्मन कहानी का यह बदला हुआ स्वरूप सोम देव भट्ट की हितोपदेश वाली भोलेराम ब्राम्हण की कहानी से काफी कुछ भिन्न है पर तीन की संख्या पर अत्यधिक बल होने के कारण ऐसा लगता है कि कहेीं न कहीं इन दोनों कहानियों का मूल श्रोत एक ही रहा होगा । इसी प्रकार की एक कहानी नार्वे में भी प्रचलित है । जिसे Shifty Sandy के नाम से जाना जाता है। योरोप के अन्य कई देशों में भी इसी प्रकार की मिलती जुलती कहानियाँ सामान्य घरों के बीच सुनी -सुनायी जाती हैं । ऐसा लगता है कि अलग -अलग दिशाओं में आर्यों के भिन्न -भिन्न कबीले हजारों वर्ष पहले नये -नये भू भागों की तलाश में चल निकले तो उन सबके पास कथाओं की एक सम्मिलित पूँजी थी । जो बाद में बढ़ -फैलकर भिन्न रूपों और भिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में विस्तार की अतिशयता पा गयी । कथाओं के इस तुलनात्मक अध्ययन पर "माटी "फिर कभी प्रकाश डालना चाहेगी । इस सन्दर्भ में यूनान ,मिश्र ,परशिया और वेवीलोन की कथाओं को भी समायोजित किया जायेगा । पर अभी तो "माटी "के पाठक यह जानना चाहेंगें कि तिकड़ी की सरदारी का इम्तहान पास करने वाला धूर्त राज नवयुवक तिकड़ी के रास्ते से हटा या नहीं हटा और जर्मन कहानी का जन कथात्मक पटाक्षेप किस भांति अभिनीत हुआ तो आइये संक्षेप में पटाक्षेप की ओर बढ़ें ।
कौवा तिकड़ी ने सोचा कि सबसे पहले उन्हें अपने छिपे खजाने को इस स्थल से उठाकर कहीं और छिपाना होगा । अभी तक उनके सरदार होने वाले धूर्तराज का खिताब जीतने वाले नवयुवक को उनके खजाने का पता नहीं था पर जब वह शैतान के चित्र को सामने रखकर नवयुवक को सरदार बनाकर अपनी शपथ ले लेंगें तो उन्हें भूतल के गर्भ में छिपे अपने खजाने का पता उसे बताना ही होगा । पर खजाने को ले जाने के लिये उन्हें एक गाड़ी चाहिये बैल तो उनके पास हैं हीं उन्हें कहीं से ठगकर गाड़ी लानी होगी । उन्होंने उस नवयुवक से कहा कि वे कुछ दिनों के लिये किसी ऐसे काम पर जा रहे हैं जो यह साबित कर दे कि वे नवयुवक सरदार के साक्षी होने के योग्य हैं । नवयुवक सरदार को उन्होंने वहीं रुक कर स्थान और बैलो की देखभाल करने को कहा । बुद्धिमत्ता की नाप -तौल में पशुओं के संसार में कुत्ते और घोड़े बैलों से और अन्य पशुओं से बाजी मार गये हैं । पर बैल भी हैं जो अपने मालिक की वफादारी पूरी तरह निभाते हैं, उसकी आवाज को पहचानते हैं और उसके सुख -दुःख में शरीक होते हैं । तीनों बैल तिकड़ी के उस अड्डे में बंधे रहकर बहुत बेचैनी महसूस करते थे । मोटी रस्सी तुड़ाकर भागना मुमकिन न था पर उनकी पशु खोपड़ियाँ किसी मौके का इन्तजार कर रही थीं । धूर्त राज नवयुवक जिसनें अपनी चालों से सरदार का पद जीत लिया था अब अकेले में पड़ा -पड़ा कुछ सोचा करता था । वह भीतर ही भीतर जान गया था कि तिकड़ी उसे रास्ते से हटा देने की तरकीब खोज रही है पर जर्मनी के उस शिफील्ड नामक वन्य इलाके के शेरिफ माइकेल हेनरिच कुछ और ही प्लान बना रहे थे । जिस दिन तिकड़ी कुछ नया करने की बात कहकर वहाँ से चली गयी थी उसी रात एक गरीब दिखने वाला जंगली आदमी सरदारी का खिताब जीतने वाले नवयुवक के पास आया वह कैसे और कहाँ से आया कोई नहीं जानता और वह क्या बात करके चुपचाप वापस चला गया यह भी कोई नहीं जानता । अगले दिन शिफील्ड के उस जंगली रास्ते पर पसीने से लद्बद् एक अधेड़ मजदूर अपने दोनों हाथों से दोपहियों की एक गाड़ी खींच रहा था थककर वह पेंड का छाया में विश्राम करने के लिये लेट गया और उसे नींद आ गयी । या कौन जाने वह दिन में भी सोने का बहाना किये पड़ा रहा । शाम हो गयी , अन्धेरा घना होने लगा दोपहियों वाली उस गाड़ी में काले कपडे से छिपे गाड़ी के धरातल पर क्या छिपा पड़ा है इसे किसने देखा है । तिकड़ी उस रास्ते में गाड़ी की तलाश कर ही रही थी । अधेड़ गाड़ीवान सो ही रहा था । एक ने गाड़ी आगे से सम्भाली । दोनों ने पीछे से धक्का दिया । गाड़ी में पर्दे के नीचे कोई वस्तु हिली -डुली पर अँधेरे में कौन देखता । अड्डे से कुछ पहले गाड़ी खड़ी कर दी गयी । तिकड़ी और रात हो जाने का इन्तजार करने लगी ताकि चुपके से खजाने को निकाला जा सके और शर्त जीते धूर्तराज नवयुवक को पता न चले । ( क्रमशः )
कौवा तिकड़ी ने सोचा कि सबसे पहले उन्हें अपने छिपे खजाने को इस स्थल से उठाकर कहीं और छिपाना होगा । अभी तक उनके सरदार होने वाले धूर्तराज का खिताब जीतने वाले नवयुवक को उनके खजाने का पता नहीं था पर जब वह शैतान के चित्र को सामने रखकर नवयुवक को सरदार बनाकर अपनी शपथ ले लेंगें तो उन्हें भूतल के गर्भ में छिपे अपने खजाने का पता उसे बताना ही होगा । पर खजाने को ले जाने के लिये उन्हें एक गाड़ी चाहिये बैल तो उनके पास हैं हीं उन्हें कहीं से ठगकर गाड़ी लानी होगी । उन्होंने उस नवयुवक से कहा कि वे कुछ दिनों के लिये किसी ऐसे काम पर जा रहे हैं जो यह साबित कर दे कि वे नवयुवक सरदार के साक्षी होने के योग्य हैं । नवयुवक सरदार को उन्होंने वहीं रुक कर स्थान और बैलो की देखभाल करने को कहा । बुद्धिमत्ता की नाप -तौल में पशुओं के संसार में कुत्ते और घोड़े बैलों से और अन्य पशुओं से बाजी मार गये हैं । पर बैल भी हैं जो अपने मालिक की वफादारी पूरी तरह निभाते हैं, उसकी आवाज को पहचानते हैं और उसके सुख -दुःख में शरीक होते हैं । तीनों बैल तिकड़ी के उस अड्डे में बंधे रहकर बहुत बेचैनी महसूस करते थे । मोटी रस्सी तुड़ाकर भागना मुमकिन न था पर उनकी पशु खोपड़ियाँ किसी मौके का इन्तजार कर रही थीं । धूर्त राज नवयुवक जिसनें अपनी चालों से सरदार का पद जीत लिया था अब अकेले में पड़ा -पड़ा कुछ सोचा करता था । वह भीतर ही भीतर जान गया था कि तिकड़ी उसे रास्ते से हटा देने की तरकीब खोज रही है पर जर्मनी के उस शिफील्ड नामक वन्य इलाके के शेरिफ माइकेल हेनरिच कुछ और ही प्लान बना रहे थे । जिस दिन तिकड़ी कुछ नया करने की बात कहकर वहाँ से चली गयी थी उसी रात एक गरीब दिखने वाला जंगली आदमी सरदारी का खिताब जीतने वाले नवयुवक के पास आया वह कैसे और कहाँ से आया कोई नहीं जानता और वह क्या बात करके चुपचाप वापस चला गया यह भी कोई नहीं जानता । अगले दिन शिफील्ड के उस जंगली रास्ते पर पसीने से लद्बद् एक अधेड़ मजदूर अपने दोनों हाथों से दोपहियों की एक गाड़ी खींच रहा था थककर वह पेंड का छाया में विश्राम करने के लिये लेट गया और उसे नींद आ गयी । या कौन जाने वह दिन में भी सोने का बहाना किये पड़ा रहा । शाम हो गयी , अन्धेरा घना होने लगा दोपहियों वाली उस गाड़ी में काले कपडे से छिपे गाड़ी के धरातल पर क्या छिपा पड़ा है इसे किसने देखा है । तिकड़ी उस रास्ते में गाड़ी की तलाश कर ही रही थी । अधेड़ गाड़ीवान सो ही रहा था । एक ने गाड़ी आगे से सम्भाली । दोनों ने पीछे से धक्का दिया । गाड़ी में पर्दे के नीचे कोई वस्तु हिली -डुली पर अँधेरे में कौन देखता । अड्डे से कुछ पहले गाड़ी खड़ी कर दी गयी । तिकड़ी और रात हो जाने का इन्तजार करने लगी ताकि चुपके से खजाने को निकाला जा सके और शर्त जीते धूर्तराज नवयुवक को पता न चले । ( क्रमशः )